हर नफस तेरी यादोंके दायरे सिमट रहे है ,
लगता है तेरे मिलने का लम्हा करीब है ,
इंतज़ारकी घड़ियाँ कहीं पीछे छुट रही थी ,
और दीदार करीब है ,
तू नहीं तेरी तस्वीरसे दिल यूँ बहलाया ,
जैसे खामोशसे लम्होंको तेरी बातोंने भर दिया ,
मेरी जिंदगीके कुछ लम्होंके खाने को खाली रहने दो ,
कभी खलिशको भी तुम्हारी जगह भरने दो .....
तुम्हारे बगैर हर लम्हे को कैसे जिया है ???
बस उसे लब्जोमे सजाकर सफो को भरने की इजाजत दे दो ,
मेरे लबों पर आकर रुक जाती वो शिकायतोंको उजागर होने दो ....
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