4 जुलाई 2011

एक एहसास

आज मैंने देखी बंद आँखोंसे एक दुनिया ,
ना कोई रंग था ,ना कोई आकार था ,
बस एक पहचान आवाज की थी ,
एक पहचान स्पर्श की थी .....
कुछ गहरे एहसास होते है
जो आँखोंसे देखे नहीं जा सकते ,
पर स्पर्श बोल देता है बिना कोई शोर किये .....
उसकी गहराई तो ये है ,
बाहरी सुन्दरतासे नावाकिफ होते है ये ,
पर इस आकारसे इंसानकी उंचाई पता चल जाती है .....
याद रह गयी जो मैंने देखी बंद आँखोंसे दुनिया ,
उसे देखना नहीं महसूस करना ही गवारा हुआ ......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...