5 अप्रैल 2011

अब कोई फ़िक्र नहीं ....

अब कोई फ़िक्र नहीं ,
गमका भी जिक्र नहीं ,
साथ तुम्हारा एक दिलासा दे गया ,
मत डरना तुम किसीसे भी ,
कोई और भी है
जिसने कन्धा अपना थमाया
और कहा हौले से ,
अब थोडा दिल हल्का कर दो ,
ग़मोंको आंसू बनाकर बहा दो ,
देखो होठोकी चौखट पर बैठी है
वो छोटी सी हँसी
उसे भी बाहर आने दो ....

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