बहार का इंतज़ार हमें तब तक रहा
बस तेरे आने का पयगाम ही काफी था ....
हयाके अंदाज़ को कैसे बयां कर पाएंगे ??
तेरी पलकोंकी चिलमन झुक जाना मेरे लिए काफी था ....
प्यास के एहसास क्या है ये नहीं जाना हमने
तेरे बंद किवाड़ोंको तकते रहना ही काफी था ....
चाँदको नहीं देखा कभी आसमांमें उड़ते हुए ,
तेरे चेहरे का दीदार करना मेरे लिए तो काफी था ....
जिन्दा रहते है इन आती जाती साँसोंसे ये सुना था ,
पर तेरे खयालके आते मेरे दिल का धडकना ही काफी था ....
इश्कको समजने की जुर्रत कैसे करें हम ?
तेरा नाम ही लेना काफी था ....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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