चलो आज कुछ कदम साथ चले ,
चलो आज एक हवाको साँसोंमें भरे ,
चलो आज एक नज़रसे मंजिलको देखे ,
चलो आज एक दृष्टिसे एकदुसरे को सोचे ,
चलो आज फिर एक गाना गुनगुनाये ,
चलो आज फिर एक लम्बी ख़ामोशी पाए ,
चलो आज फिर खुली छत के नीचे सो जाए ,
एक कहानी सुने जो सारी रात सितारें हमें सुनाये ,
जीवन साथी बन तो जाते है हमसफ़र ,
एक बस इतनी सी इल्तजा है हमारी
आज हमकदम हमसोच बनकर जी जाए ....
कल सहर शायद ये रास्ता जुदा हो जाए तो भी गम नहीं ,
हमारी यादोंमें इस दिनमें हम साथ साथ खो जाए ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
13 मार्च 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें