13 मार्च 2011

हमकदम

चलो आज कुछ कदम साथ चले ,
चलो आज एक हवाको साँसोंमें भरे ,
चलो आज एक नज़रसे मंजिलको देखे ,
चलो आज एक दृष्टिसे एकदुसरे को सोचे ,
चलो आज फिर एक गाना गुनगुनाये ,
चलो आज फिर एक लम्बी ख़ामोशी पाए ,
चलो आज फिर खुली छत के नीचे सो जाए ,
एक कहानी सुने जो सारी रात सितारें हमें सुनाये ,
जीवन साथी बन तो जाते है हमसफ़र ,
एक बस इतनी सी इल्तजा है हमारी
आज हमकदम हमसोच बनकर जी जाए ....
कल सहर शायद ये रास्ता जुदा हो जाए तो भी गम नहीं ,
हमारी यादोंमें इस दिनमें हम साथ साथ खो जाए ...

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