उस नदी की लहरें किरन को बहा कर ले गयी ,
क्या हुआ सितम उस पर के सात रंग के टुकड़ोंमें काट कर ले गयी ???
कल सूरज भी लेगा जवाब उस नदी से ,
तो कहेगी नदी रास्ता रोक रही थी मेरा
तो मैं उसे भी सागरसे मिलाने को ले गयी .....
थोडा सब्र तो करो ,
जब सागर तुम्हे बादलोका तोहफा देगा तुम्हे ,
तुम उस किरन को पा लेना ...
ख़ुशी से नाचेगा पानी भी उस किरन से
तुम मेघधनु का हार खुद पर सजा लेना ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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बहुत ही सुन्दर शब्द ।
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