उस नदी की लहरें किरन को बहा कर ले गयी ,
क्या हुआ सितम उस पर के सात रंग के टुकड़ोंमें काट कर ले गयी ???
कल सूरज भी लेगा जवाब उस नदी से ,
तो कहेगी नदी रास्ता रोक रही थी मेरा
तो मैं उसे भी सागरसे मिलाने को ले गयी .....
थोडा सब्र तो करो ,
जब सागर तुम्हे बादलोका तोहफा देगा तुम्हे ,
तुम उस किरन को पा लेना ...
ख़ुशी से नाचेगा पानी भी उस किरन से
तुम मेघधनु का हार खुद पर सजा लेना ......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
-
बंदिशें बनती है धूपमे भी कभी , सरगम बनकर बिछ जाता है धूप का हर टुकड़ा , उसके सूरसे नर्तन करते हुए किरणों के बाण आग चुभाते है नश्तरों के ...
-
एहसान या क़र्ज़ कहाँ होता है इस दुनिया में ??? ये तो रिश्तोंको जोड़े रखने का बहानाभर होता है .... बस मिट्टी के टीले पर बैठे हुए नापते है ...
बहुत ही सुन्दर शब्द ।
जवाब देंहटाएं