4 फ़रवरी 2011

चलो चलें ???

कुछ रूककर चले,
तुम्हे ऐतराज़ ना हो गर
तो हाथ थामकर चलें ??
मंजिल एक भले ना हो अपनी
फिर भी मिले है गर नसीब से
तो कुछ कदम साथ तो चलें !!!!
आगे दोराहा आएगा ,फिर ?
अगर तुम्हारा साथ पसंद आ गया
तो हम तुम्हारे साथ चलेंगे ...
गर तुम्हे हाथ छोड़ना गवारा ना हो मेरा
तुम मेरे राह पर चल देना .....
गर दोनों की राह बदल गयी तो
एक दुसरेके दिल में यादो का घरौंदा बनकर चलेंगे ...

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