3 फ़रवरी 2011

कीमत

जिंदगी कभी गुलज़ारकी नज़्म नहीं होती ,
कभी वो आसमांका चाँद नहीं होती ,
ये तो होती है बस जहनमें बसी कल्पनाएँ ,
और ये कल्पनाएँ कभी हकीकत नहीं होती .....
ए सी गाडीके अन्दर बैसाखकी तपिश नहीं होती ,
फिर भी इस ठंडकमें कभी हकीकतकी परख नहीं होती ,
दस व्यंजनसे भरे थालमें कभी भूखकी भड़क नहीं होती ,
उस व्यंजनमें मिलता है स्वाद कभी वहां भूख नहीं होती ....
जमींसे जुड़कर आसमांसे अंतर का पता चलता है ,
कीमत चूका देनेसे वो चीज़ कभी अपनी नहीं होती ,
कुछ चीजें हमारे लिए कभी जरूरी होती है बहुत ,
पर उस चीजें खरीदनेके लिए हमारे पास कीमत नहीं होती ....
कीमत हमेशा किसने कहा रूपोंमें ही कही जायेगी ,
उन एहसास को क्या कहे जिसकी कभी कोई कीमत नहीं होती ....

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