25 अक्तूबर 2010

तलाश तलाश .....

नज़रे मत झुकाओ
तुम्हारे नज़रकी आतिशकी
रौशनी बह जाने दो
मेरे दिल को उसका इंतज़ार ही है .....
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खफा खफा से रहना
हसीनोकी आदत है ...
उन्हें क्या पता उनके रूठे रुखसार के
हम तो कायल है ....
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कहाँ जाएँ मंजिल का पता नहीं मालूम
चल पड़े हम फिर भी
सोच कर यूँ की
कदम जहाँ पर रुकेंगे मंजिल वहीँ होगी .....

1 टिप्पणी:

  1. sari post hi khoobsurat hai.....!! lakin mujhe sabse jyada prabhavit kiya ....

    नज़रे मत झुकाओ
    तुम्हारे नज़रकी आतिशकी
    रौशनी बह जाने दो
    मेरे दिल को उसका इंतज़ार ही है .....

    aapke blog ke naye look ....bahut achha lag raha hai ....!!


    Jai Go Mangalmay Ho

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