3 जून 2010

परिंदा

मैं कौन ????
मैं एक परिंदा ...!!!!

कुदरतकी एक अनजानीसी साजिश ...

इंसान की नज़र की एक मजाक ...

फितरत मेरी मिजाज़ मेरा ख्वाब मेरा

एक ही !!!!

उड़ जाऊं खुले आसमानमें !!!!

और यहाँ

एक पिंजरेमें कैद हूँ

हँसते हुए इस पिंजरेका दरवाजा भी खुला रखा गया है .....

पर कासे कहूँ मेरी पीर ???

मेरे पर काट दिए गए है !!!!!

1 टिप्पणी:

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...