कभी कभी मेरी तरह आपने भी ये महसूस किया होगा की हमारी जिंदगीमें कोई ऐसा रिश्ता होता है जो हमारा कोई खुनके रिश्ते में नहीं होता बस एक खुबसूरत हादसेसे हमें वो मिल जाता है और गहरा भी हो जाता है । बस एक ऐसे ही रिश्ते की छोटी सी कहानी है ये .....
रिध्धिमा एक स्कुल टीचर है ...उसकी स्कुल में उसकी ही दोस्त अनुष्का एक महीने के बाद प्रसूति की छुट्टी पर जा रही है ..स्कुल ने एक टेम्पररी टीचर का बंदोबस्त करना है ....
पर वक्तने करवट ले ली ...अब अनुष्का अपने पति के साथ ऑस्ट्रेलिया स्थायी होने जा रही है तो उसने नौकरी छोड़नेकी नौबत आ गयी ....अब वो हमेशा के लिए अलविदा कर रही थी ...
वो सिर्फ रिध्धिमा की ही नहीं पर उस स्कुल के सारे बच्चों की फेवरिट थी ...उसके जाने की खबर सुनते ही प्रिंसिपल से लेकर चपरासी तक के लोग रो रहे थे ...अनुष्का जैसे लोग बहुत ही कम होते है जिसे इतना प्यार मिलता है ...आखिर स्कुलके हर इंसानके आंसू में बह रहे प्यार को समेटकर वो चली गयी .....
अब उसके जगह स्थायी शिक्षककी भर्ती हो गयी ...आलोक ....वैसा ही उम्दा ...बहुत जल्दी ही वो स्कुलमें सबसे घुलमिल गया ...बच्चोको इतना प्यार दिया की अनुष्काकी कमी भी अब कम खलती थी ....रिध्धिमाको उसने एक खास एहसास दिलाया की वो कितनी इज्जत करता है उसकी ...उसके घर भी आना जाना हुआ करता था ...दस साल की उम्र का फर्क वहां घुल जाता था ...
धीरे धीरे वक्त गुजरता गया ...स्कुलको आलोक और आलोक को स्कुल रास आ गयी ...
पर एक दिन अनुष्का वापस आ गई ...उसके पतिके साथ उसका तलाक हो गया था ...उसे वहां जाकर पता चला की वो पहले से शादी शुदा था ...वो वापस आ गई ...
अब शहरमें उसी स्कुल में वापस आने का उसने फैसला किया ...उसकी महारत और लोकप्रियताको देखते हुए शायद स्कुलके मेनेजमेंटको उसको वापस लेनेमें कोई हर्ज नहीं था ...पर अब आलोक का क्या किया जाय??? ...वो भी एक उम्दा इंसान था हाँ विषय की महारत में उससे अनुष्का कहीं आगे थी उसमे भी शक नहीं था .....
स्कुल मेनेजमेंटने आलोक के हाथमें स्थानांतरण का हुकुम ख़त थमा दिया ....एक बिजली गिर पड़ी उस पर और सब पर .....अनुष्कासे सबको प्यार था पर उसके वापस आने की सजा आलोक को क्यों दी जा रही है ????सिर्फ इस लिए की उसकी नौकरी सिर्फ तीन महीने पुरानी है ???? फिर भी आलोकको रिध्धिमाने समजाया भारी मनसे की देखो आज नौकरी आसानी से नहीं मिलती ...तुम्हारे पास एक अच्छी मनपसंद नौकरी तो है ....एक छोटी सी सही एक पहचान तो है ....और सबसे ज्यादा तो किस्मतके आगे किसीकी नहीं चलती ........
जहाँ पर अनुष्का पर हमेशा फूल बरसते थे वहां अब अनदेखासा अंतर सब कर रहे थे ...उसका आना किसीको नहीं भा रहा था ..सिर्फ उसके विद्यार्थियों को छोड़कर !!!!!
रिश्तोके बदलते रूपसे अनुष्का परेशां थी ...पर अब क्या ....जो उसपर जान देते थे अब उसे आते देख रास्ता बदलते थे ....तीन महीनेने उसकी जिंदगी हर तरहसे बदल दी थी ...आलोक तो चला गया पर अनुष्का इन बदलते रिश्तोके रंग के बीच अकेली ही रह गयी .....
बस उसके साथ सिर्फ रिध्धिमा रह गई ...क्योंकि वह मानती थी की कुछ रिश्ते हमारे प्रोफेशनके कारण बनते है ..पर वो आगे जाकर गहरी दोस्ती में तब्दील हो जाते है ....और हर इंसान को अपने प्रोफेशनल रिश्तों को दोस्ती से अलग रह कर जीना होता है ...जो भी हुआ उसमे तक़दीर की चाल थी ...इन तीन महीने में एक नया रिश्ता मिला था आलोकका भी ...पर उसकी सजा मैं अनुष्का को हरगीज़ नहीं दे सकती ...कभी नहीं ....
अनुष्का मेरी कल भी दोस्त थी ...आज भी है ...और कल भी रहेगी ..........
वक्त के साथ जो बदल जाये वो रिश्ते नही होते सिर्फ़ स्वार्थ होता है………………बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति…………दिल को छू गयी।
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