15 जनवरी 2010

इल्तजा अय खुदा तुझसे आज ...

अय खुदा उसकी जिंदगीमें ख़ुशी की रौशनी दे दे ,

मेरी ये दुआ कुबूल कर ली खुदाने भी ,

चुपके से कहा तेरी एक ख़ुशी को कुर्बान करनी होगी ,

जाँ हाज़िर है अय खुदा तेरे दीदार तो हो जायेंगे....

अय खुदा फिर पता चल ही गया

मुझे भी तेरे दस्तूर का ........

तेरे खजानेमें भी कमी है खुशियों की हमारी तरह ही

तब ही तुझे भी किसीको ख़ुशी देने के लिए

किसी को ग़मों के हवाले करना पड़ता होगा .....

तु तो दयालु है बड़ा यकीं है मुझे तुझ पर

ये करते वक्त तु भी एक बूंद आंसू का लिए रोया होगा ........

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