फ़िर एक सुबह के इंतजारमें
ये दिल बेकरार हो चला
रातभर नींद न आई और
सवेरेकी तलाशमें एक और सफर तय हो चला ....
कल सवेरे आएगा सूरज
अरमानोकी डोली में बिठाकर सपनो को मेरे ,
बस बादल घिर आए और सूरज ढँक गया ,
शायद सूरज नहीं तो क्या इसका उजाला ही काफ़ी है
तलाशे मंजिल के और मक़ाम बाकी है ....
बहुत ही बढि़या कविता।
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जवाब देंहटाएंये दिल बेकरार हो चला
रातभर नींद न आई और
सवेरेकी तलाशमें एक और सफर तय हो चला ....
एक सुन्दर अह्सास...