11 अक्तूबर 2009

एक पैगाम

परिंदे के पर पे लिखा एक पैगाम है ,

वो पंख मेरे महबूबकी अटारी पर गिराना ......

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मोहब्बतकी सलामतीकी दुआ क्यों ?

खुदाकी हयाती पर आज शक क्यों ?

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ऑसकी बूंद नूर लायी ,

तेरे फिराकमें बहे अश्क का ...

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कांचको तराशा एक मूरत बनी ,

ना जाना ये तो पत्थरका सीना लिए है ......

2 टिप्‍पणियां:

  1. परिंदे के पर पे लिखा एक पैगाम है ,

    वो पंख मेरे महबूबकी अटारी पर गिराना ......

    bahut sunder baat

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