5 अगस्त 2009

राखी ...!!!!

कच्चे धागेमें बंधा प्यार भेज रही हूँ ,

आज बचपनकी यादोंको इस पातीके साथ भेज रही हूँ ,

दिलमें हर दुआ तेरे लिए निकल रही है

मेरे भाई आज राखीके दर्पणमें अपना बचपन भेज रही हूँ .....

दूर देस जो ब्याह दी है बाबुलने जिगरके टुकड़े को ,

बस अगले सावनमें मिलनेकी आस भेज रही हूँ ,

मांगती नहीं आज कुछ तुमसे ,

शोकेसमें वो बैठी गुडिया बतौर उपहार मांग रही हूँ .....

2 टिप्‍पणियां:

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...