आपको मुबारक हो महफिलें
हमें हमारी तन्हाई मुबारक हो ...
किस जुबांसे करें बयां कि साथ क्यों छुटा ?
पूछा होता तो बता देते पंख कट गए है हमारे ....
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एक लंबा सफर तय किया था
एक लम्बी गुमनामी को झेला था
अब मंजिल सामने है खड़ी मेरे
तब क्यों ये लग रहा कि राह थी ग़लत चुनी ?
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बड़े हलके फुल्केसे लग रहे थे रुई से
आज मैंने बादलको निचोड़ कर देखा
उसकी ऊँची उड़ानके राज़ को जाना
ढूँढता था महबूबाको और आंसू थे भरे भरे ....
किस जुबांसे करें बयां कि साथ क्यों छुटा ?
जवाब देंहटाएंपूछा होता तो बता देते पंख कट गए है हमारे ....
kuch beete dardke saaye ubhar ke aagaye,sunder tino bhi bahut sunder.
बहुत सुंदर लिखा है !!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता पढ़वायी
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प्रेम सचमुच अंधा होता है – वैज्ञानिक शोध