14 जुलाई 2009

ये एक मजेदार इ मेल आया है ....

१ पत्ते गिर सकते है पेड़ नहीं ,सूरज डूब सकता है आसमां नहीं ,

धरती सुख सकती है दरिया नहीं ,दुनिया सुधर सकती है आप नहीं ....

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२ आना फ्री जान फ्री ,

पकडे गए बिना टिकेट के तो खाना फ्री ....

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३ वो आज भी हमें देखकर मुस्कुराते है ,

हम आज भी उन्हें देखकर मुस्कुराते है

ये तो उनके बच्चे ही कमीने है

जो हमें मामा कहकर बुलाते है ...

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४ तेरी गलियों के चक्कर काटते हुए

काटते कुत्ते भी मेरे यार हो गए

तू तो हमारा न हुआ पर

हम कुत्तों के सरदार हो गए ....

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५ आज कुछ घबराए हुए से लगते हो

ठण्डसे कपकपाये से लगते हो

निखर आई है सूरत आपकी

बहुत दिनों के बाद नहाये से लगते हो

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६ जिसे कोयल समजा वो कौवा निकला

दोस्ती के नाम पर हौवा निकला

जो रोका करते थे शराब पिने से

उसीकी जेबसे पौवा निकला ....

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७ तेरी जुल्फें है या घना अँधेरा

कटवा दे बाल और करदे सवेरा

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८ फूलोंकी महक को चुराया नहीं जाता

सूरजकी किरणों को छुपाया नहीं जाता

कितनी भी सुंदर गर्ल फ्रेंड हो अपनी

दूसरों की गर्ल फ्रेंड को भुलाया नहीं जाता

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९ आपकी यादों को पेप्सी बनाकर पिया करेंगे

बेवक्त आपको मिस किया करेंगे

मर भी गए तो क्या हुआ

यमराज के मोबाइल से आपको एस एम् एस किया करेंगे

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१० जो हमेशा से होता आया है

वो रिपीट कर दूंगा

तू न मिली तो अपनी जिंदगी

कंट्रोल + आल्टर + डिलीट कर दूंगा

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११ प्यार तो हमें भी करना था

पर कुछ खास नहीं हुआ

ताज महल तो हमें भी बनवाना था

पर अफ़सोस !!! लोन पास नहीं हुआ ....

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ये इ मेल पर आई कुछ मजेदार शायरी है ...

2 टिप्‍पणियां:

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