एक मोमबत्ती हूँ ....
रौशनी को समेटे हूँ अपनी आगोशमें ,
बस एक चिनगारी के इंतज़ारमें
बैठती हूँ अपलक ...........
जब तक अँधेरा नहीं मेरे वजूद का क्या मतलब ?
बिजली की चकाचौंधमें मेरा अस्तित्व कहाँ ?
हाँ ...शायर की महफ़िल में जलती रहती हूँ मोम के आंसू लिए ,
परवानों का इंतज़ार करती हुई ............
बहुत खूब..खुद जल कर भी दूसरों को रौशनी दे...यही तो शमा... का कमाल है...
जवाब देंहटाएंएक मोमबत्ती हूँ ....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसास