नजाकतसे आपकी ये फूल क्यों शरमाया ?
ये क्या इल्म है इस हुस्नका जो चाँद ने भी करम फ़रमाया ?
गुजारिश करके देख ली आज आपके दीदार करके कलमको
क्या ये बेपनाह हुस्न शब्दोमें कैद कर पायेगी ?????
=======================================
मोहब्बत करते वक्त न पूछा इस नाचीज़ दिल को कभी ,
दिलका जब मिलना हुआ तो दिल खो जाने का ख़याल न रहा ,
निशान आपके कदमके ढूँढता फ़िर रहा हूँ यूँ गलियोंमें रहगुजरमें ,
तस्वीर आप ही की रहती है हरदम आंखोंके सामने
हो कभी उठती सुबह या ढलती शाम ही क्यों न हो !!!!
क्या इसे प्यार कहते है ? ये तो नहीं मालूम ...
बस इतना ही पता है जब सामना होता है आपसे
दीदार होता है आपका वही मेरी सहर होती है .....
ACHHE KHAYAALAAT LIKHE HAI AAPNE... BADHAAYEE SWIKAAREN...
जवाब देंहटाएंbahut achche khyal...........sundar rachna.
जवाब देंहटाएंहो कभी उठती सुबह या ढलती शाम ही क्यों न हो !!!!
जवाब देंहटाएंक्या इसे प्यार कहते है ? ये तो नहीं मालूम ...
बस इतना ही पता है जब सामना होता है आपसे
दीदार होता है आपका वही मेरी सहर होती है .....
behad khubsurat ehsaas waah