3 मई 2009

शुक्रिया ,करम ,मेहरबानी ...

न कभी गिला करेंगे न शिकवा ,बस मोहब्बत है जिससे उसे जताना भी क्यों ?

एक गीला सा एहसास है बस ये दिल को बरबस भीग जाने का बहाना मिल गया कोई !!=========================================================

तराशना था जिंदगी को संगेमरमर सा , तपिश ने उसे सुलगा सा दिया है ,

और निखरसी गई जब आपके स्पर्शसे तराश दिया गया इस पत्थर को ,

पत्थर पर आ गई बहार फूल और बेले बनकर ,दुनिया सराहती गई उसे भी ,

नजरों को तलाश है उन हाथों की जिसकी निगाहों से आज दुनिया मुझे देख रही .....

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