गुस्ताख दिल है हमारा ,
तुम्हारी निगाहों को पढ़ न पाया ,
छुपा था इकरार मोहब्बत का इनकारमें भी ,
दिल ये नादाँ समज न पाया .....
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महोब्बत पर मिलन या जुदाई की कोई शर्त नहीं हुआ करती ,
मिलन होता नहीं हर इश्क की दास्तां का अंजाम ,
पर इतिहास के सफे पर लिखी गई हर दास्तां ,
अमर हो गई जो जुदाई के अंजाम पर ख़त्म हुई थी .......
खूबसूरत।
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