4 अप्रैल 2009

दिल !!!

गुस्ताख दिल है हमारा ,

तुम्हारी निगाहों को पढ़ न पाया ,

छुपा था इकरार मोहब्बत का इनकारमें भी ,

दिल ये नादाँ समज न पाया .....

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महोब्बत पर मिलन या जुदाई की कोई शर्त नहीं हुआ करती ,

मिलन होता नहीं हर इश्क की दास्तां का अंजाम ,

पर इतिहास के सफे पर लिखी गई हर दास्तां ,

अमर हो गई जो जुदाई के अंजाम पर ख़त्म हुई थी .......

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