मेरा नाम गोपा देसाई है ॥
मैं अभी ललितकला अकादमी की ओर से मुझे मिले प्रथम पुरस्कार को ग्रहण करने के लिए एक खास समारोह में जा रही हूँ ।दिवार पर लगे हुए इस चित्र को आप गौर से देखिये .जी हाँ ,इसी चित्र के सामने मैं आज से ठीक दो साल पहले अनिल से मिले थी .दरअसल ये चित्र अनिलने ही खरीद लिया था . मुझे ये बहूत पसंद आया . एक औरत जिसे अपने किसी की प्रतीक्षा है ......
अपने दोनों हाथों को व्हील चेर पर टीकाते हुए मैं एकटक उसी चित्र को निहार रही थी और अनिल मुझे ।ढाई साल पहले की बात है .महाबलेश्वरसे लौटते वक्त हमारी कारकी दुर्घटना हो गई जिसमे मेरे माता, पिता एवं इकलौते भाई को ईश्वर ने अपने पास बुला लिया .इस भरी दुनिया में मैं तनहा रह गई . मेरे दोनों पैर दुर्घटनामें में खो चुकी थी और तबसे ये व्हील चेर ही मेरे पैर बन गई है ....
उस वक्त अचानक ही अनिलने मेरे पास आकर मेरे हाथ में ब्रश,रंग और केनवास थमा दिए और मेरी जिन्दगी में एक सुनहरा पृष्ठ खोल दिया ।वह मेरे जीवनपथ पर रौशनी बिखेरता चला गया और मैं चित्रकला में दिन ब दिन नई ऊंचाई पार करने लगी . मुझे अनिल ने जीने की एक ठोस वजह दे दी थी .उसने मेरी प्रेरणा बनकर मेरी जिन्दगी को एक नया अर्थ दिया. और हमारा यह साथ न जाने कब केनवास पर से उतरकर हमारी जिन्दगीमें भी रंग भरने लगा ये बात से हम दोनों ही बेखबर थे ...
अब मेरे दिलमें एक उलझन एक कश्मकश पैदा हुई ।मैं तो अपाहिज हूँ और मुझे ये हक़ नहीं की मैं अनिल की जिन्दगी में प्रवेश करूँ .कई दिनों तक ये बात सोचने के बाद एक दिन अचानक ही मैं बिना किसीको कुछ कहे ही मुम्बई छोड़कर एक गुमनामी की चादर ओढे कहीं दूर ओज़ल हो गई ....
अनिलने मेरी बहुत खोज की। वह मुझे बेतहाशा ढूंढता ही चला गया . किंतु मैं भले छिप गई पर मेरी कला ने मेरे अस्तित्व का पता ठिकाना बता ही दिया . इस चित्रकारी के प्रदर्शन के आयोजकों से मेरा पता लेकर अनिल ने आखिरकार मुझे दोबारा ढूंढ ही लिया . अब वह हमेशा के लिए मेरी जिन्दगी में वापस आ चुका है ....
कल मेरी शादी है , अनिल के साथ , मुझे आशीर्वाद दोगे ना ?
( मेरी मूलत: गुजराती में लिखी इस कहानी को गुजराती दैनिक दिव्यभास्कर के साप्ताहिक लघुकथा प्रतियोगिता में श्रेष्ठ लघुकथा के रूप में चुना गया था जिसका मैंने ख़ुद ही अनुवाद करके आप के लिए यहाँ प्रस्तुत किया है )
dil ko chu gai ye kahaani .....prbhaawdhali ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंmarmik kahani hai preeti ji,puraskar ke liye bahut badhai
जवाब देंहटाएंअच्छी लघुकथा ...
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