गर्म गर्म राहों पर चलकर ,
तिल तिल पाँवके छालोंको चूमकर ,
सहरा का मौसम रंग लाता गया ,
झुलसती तपिशमें पसीनेकी बूंदोंमें जैसे नहाता गया .....
कण कण बर्फकी जमती गयी ,
सतह सतह एक पर एक तह लगाकर जमती गयी ,
बैठ गए बर्फके कम्बल ओढ़कर ,
देखो इस कोनेमें मेरे कांपते हुए अरमान .....
कागज़की कश्ती पर सरपट दौड़ता,
सड़कके पानीमें तेजधार बहता हुआ ,
देखो मेरा ये बचपन बूंदोंमें नाचता गया ,
इस पहली बारिशमें जवान होकर गाता चला ..........
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
कण कण बर्फकी जमती गयी ,
जवाब देंहटाएंसतह सतह एक पर एक तह लगाकर जमती गयी ,
बैठ गए बर्फके कम्बल ओढ़कर ,
देखो इस कोनेमें मेरे कांपते हुए अरमान .....
bahut sunder abhwyakti hai
कागज़की कश्ती पर सरपट दौड़ता,
जवाब देंहटाएंसड़कके पानीमें तेजधार बहता हुआ ,
देखो मेरा ये बचपन बूंदोंमें नाचता गया ,
इस पहली बारिशमें जवान होकर गाता चला
waah kitni gehri bat keh di,wo bhi masoom andaz mein,khubsurat.