गर्म गर्म राहों पर चलकर ,
तिल तिल पाँवके छालोंको चूमकर ,
सहरा का मौसम रंग लाता गया ,
झुलसती तपिशमें पसीनेकी बूंदोंमें जैसे नहाता गया .....
कण कण बर्फकी जमती गयी ,
सतह सतह एक पर एक तह लगाकर जमती गयी ,
बैठ गए बर्फके कम्बल ओढ़कर ,
देखो इस कोनेमें मेरे कांपते हुए अरमान .....
कागज़की कश्ती पर सरपट दौड़ता,
सड़कके पानीमें तेजधार बहता हुआ ,
देखो मेरा ये बचपन बूंदोंमें नाचता गया ,
इस पहली बारिशमें जवान होकर गाता चला ..........
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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कण कण बर्फकी जमती गयी ,
जवाब देंहटाएंसतह सतह एक पर एक तह लगाकर जमती गयी ,
बैठ गए बर्फके कम्बल ओढ़कर ,
देखो इस कोनेमें मेरे कांपते हुए अरमान .....
bahut sunder abhwyakti hai
कागज़की कश्ती पर सरपट दौड़ता,
जवाब देंहटाएंसड़कके पानीमें तेजधार बहता हुआ ,
देखो मेरा ये बचपन बूंदोंमें नाचता गया ,
इस पहली बारिशमें जवान होकर गाता चला
waah kitni gehri bat keh di,wo bhi masoom andaz mein,khubsurat.