इस पलके अगले पलमें इस पल की जुदाई है ,
इस दिन से गुजरे दिनकी और आने वाले दिन में इस दिनसे जुदाई है ...
इस जुदाईकी जडोंको सींच सींच कर
पनपता है जो दरख्त वो यादों का होता है ...
इस दरख्त को कभी पतझड़ नहीं छू पाती,
हर गुजरते पलके साथ नयी कोंपल फूट जाती है ...
कुछ शाख पर पत्ते है ,कुछ पर खिले है फूल ,
कुछ बचाने खुदको कांटोका जामा पहनकर है आते ...
किसी शाख पर होती है पंछियोंकी कूक ,
और देखो हर शाख पर घरौंदे बन ठहर जाते है ये रिश्ते .....
ये जुदाई के लम्हे कभी हंसाते है ,कभी रुलाते है ,
दुआएं खुशियोंकी देते तो है कभी गम भी छूकर जाते है ....
तरोताजा रखा है इस दिलमें ये यादोंके दरख्तको
न मिलनेका न बिछड़ने का गम है ,याद बनकर आप जो संग चले है .......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
bahut khub . likhti rahiye yun hi . subhkamnayen
जवाब देंहटाएंलगातार लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना के लिए बधाई
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
http://www.rachanabharti.blogspot.com
कहानी,लघुकथा एंव लेखों के लिए मेरे दूसरे ब्लोग् पर स्वागत है
http://www.swapnil98.blogspot.com
रेखा चित्र एंव आर्ट के लिए देखें
http://chitrasansar.blogspot.com