16 मार्च 2009

तलाश फ़िर जारी है ......

खुशियों का पता पूछ रहे थे हम फिजाओंसे ,
सूखे कुछ पत्ते आकर बिखर गए बहती हवाओंसे .....
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जिंदगीका खास होना एक आम बात हो जाती ,
तुम जो रुक जाते जिंदगीमें तो ये जिंदगी सौगात हो जाती .........
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कुछ कहना कुछ सुनना ये सिलसिला बना था ,
अचानक छाई खामोशी तब बातें तुम्हारी तडपाने लगी ........
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तुम्हारी खामोशीने कुछ ऐसा हमें तडपा दिया ,
कोसा हमने अपने आपको क्यों हमने तुम्हे न बोलने की कसम दी थी ???....
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7 टिप्‍पणियां:

  1. Hello
    It has a nice blog.
    Sorry not write more, but my English is bad writing.
    A hug from my country, Portugal

    जवाब देंहटाएं
  2. खुशियों का पता पूछ रहे थे हम फिजाओंसे ,
    सूखे कुछ पत्ते आकर बिखर गए बहती हवाओंसे .....

    waah !
    sookhe pattoN ke zikr ne iss sher ko
    jaandaar bna diya hai....
    aapki qalam ko salaam...
    aur...khaamoshi wala sher bhi lajwaab hai.
    badhaaee. . . . .
    ---MUFLIS---

    जवाब देंहटाएं
  3. जिंदगीका खास होना एक आम बात हो जाती ,
    तुम जो रुक जाते जिंदगीमें तो ये जिंदगी सौगात हो जाती .........


    बहुत शानदार प्रीती जी ..आभार !!!!!

    जवाब देंहटाएं

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