प्यासका आखरी मकाम एक पयमाना था ,
बूंदोंका ठहरना वहां एक आस का ठिकाना था ....
ये किस्मतकी बात थी की लब तक आते जाम छुट गया ,
गला प्यासा ही रहा और आंखोसे दरिया छलक गया ....
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चलो फिर इश्कको आजमाया जाय ,
कांचकी इस दीवारके उस पार अपने दिलकी धड़कन को सुनाया जाय ,
दीदार करने भरसे ये दिल कभी भरता ही नहीं है ,
आज उनकी ये तस्वीरको उसमे कैद करके एक अफसाना बनाया जाय ......
अच्छी रचना है ..!
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