19 फ़रवरी 2009

ओ ख्वाब तुने क्या किया ???

कोई कसर रखी बाकी अय जिंदगी तुने रुलानेमें ,

बस मैं ही बेशर्म हूँ जो तेरी इस अदा पर हंसती चली गई ....

ऑंखें देखती रही ख्वाब फूलोंके ,

पैर मैं तू काँटों के नश्तर बनकर चुभती रही ,

ख्वाबोने मेरे मुझे गहरी नींद जब सुला दिया ,

अय शमा !! तू क्यों रात भर रोती रही ???

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यादोंके दरख़्त पर छाई है बसंत,खुश्बूसे भरले आज अपनी सांसोंको,

कल जब परछाईं घेर लेगी हमें फिराककी,चाहतमें जियेंगे तेरे दिदारकी

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तुम्हारी तस्वीर को हमने दिलमें बसा लिया है ,

यादों को तुम्हारे साथ जिए लम्होकी गले से लगा लिया है ,

हमें प्यार तुमसे है कितना बताने की जरूरत नहीं पड़ी ,

तुमने जो हमको अपनी धड़कन बना लिया है

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