12 जनवरी 2009

दरम्यां नज़र आती है .....



तोडी थी कल आपने एक चीज जो थी कांचकी,
टुकडे बिखर गये फर्श पर जिसके वह मेरा दिल था....
नश्तर चूभ गया और कतरा कतरा बह चला,
तुम्हारे नाजुक पांवमें खूं बनकर ,मेरी आंखमें अश्क बनकर.........
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तोडीये ना दिल किसीका कभी ,बडा ही नाजुक होता है,
दर्द से उठी चुभन काबिले बर्दाश्त नहीं होती...
जोडना फिर चाहे कितना भी उसे ,
एक दरार दरम्यां नजर आ जाती है............
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