वह एक आवाज है ,
जिसका कोई चेहरा नहीं है ,
सुनती हूँ उसे ,
कल्पना पर कोई पहरा नहीं ,
जहनमें एक तस्वीर बनाकर रखी है ...
उससे एक दिन मिलना है ये दिल चाहता है ,
पर फ़िर भी मिलने की चाहत नही ....
बस उसे जिंदा रहना है हमारे ख्वाब में ही हमेशा ,
तसव्वुर की कोई ख्वाहिश नहीं है ....
मिलते है जैसे बरसोंसे ,
जानकर अनजान बने हम जैसे अजनबीसे ,
इस रिश्ते को क्या नाम दे हम ?
जिसमे रिश्ता होते हुए भी कोई रिश्ता ही नहीं ...
एक कशिश ,एक प्रेरणा ,एक जूनून ,एक ख्वाहिश ,
जिसकी तलाश है एक मंजिल ,
एक चेहरा ,एक ख्वाब ,एक प्यार, एक बंदगी ,
तेरा नाम मुझे देना है आयना जिसे में कह दूँ दोस्त !!!!!!!!!
खूबसूरत ख्यालों का मुजाहरा किया है आपने अपनी इस रचना में. लिखते रहिये
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