9 सितंबर 2016

कठपुतली

यह जिंदगी किस करवट  बैठेगी पता नहीं ??!!
जब चाहती हूं वह जो  रुक जाए ,
तो दौड़ पड़ती है सरपट ??!!
जब चाहती हूं अब सरपट दौड़े,
तो नकचढ़ी जिद्दी बच्चे की तरह
 रस्ते में रोते हुए सो जाती है वह ...??!!!
ना उसे उठने का इल्म है
 ना ही सोने का सलीका
बस अपने मनगढ़ंत तरीकों से
अपने आप को डालती रहती है
और मुझे मारती रहती है
जब निराश होकर बैठ जाते हैं
तो फूलों से नहलाती है
और जीने की उम्मीद  फिर से जगाती है....
 जब राह तकते हैं खुशियों की
वह आंसू की बारात लेकर आती है ...!!!!
ना जाने किस खुशफहमी में जीते रहते हैं ???
कहते रहते हैं .....
हम जो चाहे कर सकते हैं
बस सच तो इतना ही है
जिंदगी हमें अपनी उंगलियों पर
कठपुतली की तरह नचाती है.....

1 टिप्पणी:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 22 अक्टूबर 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद! .

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