26 अक्तूबर 2015

सुर्ख नूर प्यारका …




आज आसमानी कागज़ पर मैंने लिखा 
चाँद  ....... 
और दिन शरमाकर चल दिया और हुई 
शाम  …
लाल चुनर ओढ़े हुए हथेली  के छोर पर था 
सुनहरा चाँद  ....... 
छोड़ा करते थे जैसे कश्तियाँ पानीमें वैसे ही 
नजाकतसे  
उसने आसमानी कागज़ में छोड़ा तैरने 
चाँद को  …
रात भी बड़ी सयानी निकली उसने चुनर ओढ़ी 
सितारों वाली  ....... 
चाँद  रुपहली रोशनी में नहाने लगा और बिखरा 
सुर्ख शीतल 
 नूर प्यारका  …

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