आज आसमानी कागज़ पर मैंने लिखा
चाँद .......
और दिन शरमाकर चल दिया और हुई
शाम …
लाल चुनर ओढ़े हुए हथेली के छोर पर था
सुनहरा चाँद .......
छोड़ा करते थे जैसे कश्तियाँ पानीमें वैसे ही
नजाकतसे
उसने आसमानी कागज़ में छोड़ा तैरने
चाँद को …
रात भी बड़ी सयानी निकली उसने चुनर ओढ़ी
सितारों वाली .......
चाँद रुपहली रोशनी में नहाने लगा और बिखरा
सुर्ख शीतल
नूर प्यारका …
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