गुस्ताखी हो गयी
वक्त से एक लम्हा उधर मांगने की …
वक्त रूठ गया
मिलो चलता गया मुड़के न देखा कभी ....
वक्त के साये
हमेशा अपने पीछे परछाई छोड़ते है ....
वो नही होते
अंधेरों या उजालों के मोहताज ....
तक़दीर से ही
लिखे जाते है हमारे जीवनके सफों पर ……
वक्त शायद
बहरा और गूंगा होता है और प्रिज़म सा ....
हर रंग हर एक को
अलग सा दीखता है जो होता है सफेद …
कहते है सब
वक्त सब से बड़ा शक्तिशाली होता है …
पर देखा उसको
बड़ा कमजोर है पहली बार माँगा लम्हा दे न सका ……
वक्त से एक लम्हा उधर मांगने की …
वक्त रूठ गया
मिलो चलता गया मुड़के न देखा कभी ....
वक्त के साये
हमेशा अपने पीछे परछाई छोड़ते है ....
वो नही होते
अंधेरों या उजालों के मोहताज ....
तक़दीर से ही
लिखे जाते है हमारे जीवनके सफों पर ……
वक्त शायद
बहरा और गूंगा होता है और प्रिज़म सा ....
हर रंग हर एक को
अलग सा दीखता है जो होता है सफेद …
कहते है सब
वक्त सब से बड़ा शक्तिशाली होता है …
पर देखा उसको
बड़ा कमजोर है पहली बार माँगा लम्हा दे न सका ……
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति, आभार आपका।
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