16 अक्तूबर 2015

जो आज परदेस जा रही है !!!!

तुम कब आओगे फिर ???
ये तुम्हारा देस है ,जहाँ तुम्हारी सारी यादें है ,
पहलु है माँ के आँचलका ,
पिताकी   प्यारी सी पुचकार है ,
भैया का लाड दुलार है !!!
तुम क्यों चले जा रहे हो ???
तुम बिन बस एक खलिश सी रहेगी दिल में ,
हम तुम न रोज मिलते थे ,
पर एहसास तो था वहां सामने की खिड़की में
कोई रहता है जो हमें जानता है ,
फुरसत के दो पलमे हमसे बतियाता है ,
कैसे हो ये पूछता है !!!
अपनी कुछ सुनाता है ,
मेरी भी कुछ सुनता है !!!
क्या संदेश की आस रखूँ ??
क्या तुम्हारे दिलमें एक कोनेकी आस रखुँ ??
जब मिलेंगे दोबारा कभी किसी मोड़ पर ,
तुमसे मेरी पहचान है ये न भूलो ये प्यास रखुँ ???
दिल भारी है जिसमें आधी ख़ुशी है तेरी तरक्की की ,
और आधा गम है तुमसे बिछड़ने का !!!
फिर मिलेंगे जरूर मिलेंगे !!!!
-मेरी दोस्त के नाम
जो आज परदेस जा रही है !!!!

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