वक़्त सूख रहा था ,
रेगिस्तान सा …
हसरतें सब बिखरी पड़ी थी ,
दिलकी जमीं पर रेत सी ....
तिनका तिनका बूटा बूटा
खामोश था निहारते हुए ....
किसीके आने की दस्तक का इंतज़ार था ,
खुला दरवाजा टकटकी लगाये बरबस ,बेबस सा …
वो नमी जैसे बन गयी थी लावा ,
बस किसीको पता न चला ....
तन्हाई जो तुम्हे याद करने के लिए ढूंढते थे कभी ,
आज यादों की संदूक उठाये घूम रही थी दर दर …
बस उसका मेरी जिंदगी से जाना गवारा था ,
पर उसका दुनिया को ही अलविदा कह देना गवारा न हुआ …।
रेगिस्तान सा …
हसरतें सब बिखरी पड़ी थी ,
दिलकी जमीं पर रेत सी ....
तिनका तिनका बूटा बूटा
खामोश था निहारते हुए ....
किसीके आने की दस्तक का इंतज़ार था ,
खुला दरवाजा टकटकी लगाये बरबस ,बेबस सा …
वो नमी जैसे बन गयी थी लावा ,
बस किसीको पता न चला ....
तन्हाई जो तुम्हे याद करने के लिए ढूंढते थे कभी ,
आज यादों की संदूक उठाये घूम रही थी दर दर …
बस उसका मेरी जिंदगी से जाना गवारा था ,
पर उसका दुनिया को ही अलविदा कह देना गवारा न हुआ …।
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