1 अगस्त 2013

कभी देखा है बारिशों को ???

कभी देखा है बारिशों को ???
बुन्दोकी लड़ी है तो कभी लगी छड़ी है …
कभी तिरछी धार चलती है ,
कभी उलटे मुंह नीचे गिरती है …
कभी खामोश सी ….
कब आई कब गई ???
कुछ नहीं पता …
बस इधर उधर गीली मिट्टी के निशानभर …
उसका आना तय …
उसका रुकना तय …
उसके जाने का वक्त भी तय …
फिर भी हर मौसम लिखे जाती है ….
नयी नयी दास्ताँ ….
नयी नयी जुबाँ ….
नयी नयी कहानियाँ …
नयी नयी जवानियाँ ….
ये बारिशें …
ये ख्वाहिशें …

5 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सही मायने में 'लोकमान्य' थे बाल गंगाधर तिलक - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें और टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  3. कभी देखा है बारिश को???
    न....नहीं देखा....
    महसूस किया है...छुआ है.....पिया है.....जिया है मैंने बारिश को....

    अनु

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...