एय जिंदगी ...!!!!
कल रात तेरे कूंचे से निकले थे हम ,
तू खिड़की पर कोहनी टिकाये हुए
आसमान को तक रही थी बस
तू भी क्या सितारोंकी चाल की मोहताज थी ??
या फिर कुछ खयालोमे गुमशुदा थी ???
तू देर रात तक जगती है ये मालूम न था ,
तेरी नींद उड़ जाए वो वजहका तार्रुफ़ न था ...
तेरी आँखोंमें उदासी न थी न ही कोई ख़ुशी भी ,
ये कौनसा मंज़र रहा होगा ये हमें मालूम न था ...
तेरा नाम लेकर पुकारा हमने
तुमने सुना की नहीं ये मालूम न था ....
तुम भी खुद से जुदा होकर जी लेती हो कभी यूँ भी ,
तेरे जीवनका ये पहलू शायद मुझे मालूम न था ...
तुम्हे भी किसी राह की तलाश हो ,
तुम्हे भी किसी बात की तलाश हो ,
तो तेरे पास हम करे क्यों सवालोंके जवाब ???
जो सवाल तुम ही हमारे सफे पर अधूरे छोड़ जाती हो ?????
सच...क्यूँ करें जिंदगी से सवाल जवाब.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ..
अनु
shukriya anuji ...
हटाएंबहुत शानदार और लाजवाब!!! आभार
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