8 दिसंबर 2012

येही तो है कहानी !!!!!

कभी कभी शब्द निशब्द होकर घूमते है ,
बस देह के बाहर जैसे आत्मा हो !!!
श्वेत लिबासमें कोई एहसास के रंग न लेकर ,
बस एक ज्योतिकी आभा लिए पलकों पर !!!
न कलम न सफा ,बस आसमान पर बहते हुए ,
हवाओं पर लिखते हुए ,बादलोंके धुंए पर उड़ते हुए !!!!!
उसे महसूस करने की कोशिश ...हाँ कोशिश भर ,
बस एक समाधी लग जाती हो जैसे !!!
क्योंकि उन एहसासोंकी तस्वीर बनती जाती है ,
आँखें पर पलकें सो जाती है और वो तस्वीर नजर आती है !!!!!
इसे क्या कहें ???
क्यों मेरी कलम खामोश थी ???
क्यों मेरा कागज़ कोरा ही रह जाता था ????
क्यों दिल बिना जल भीग भीग जाता था ???
और क्यों इस बारिशमें कोई कोरा ही कोरा रह जाता था ?????
कभी खुदमें द्वंद्व महसूस किया है किसीने ???
कभी कोई खुदसे जीता हो ???
और कोई खुदके आगे ही हार गया हो ???
ना जीत की ख़ुशी न हार का गम !!!!!
बस निशब्द शब्द की येही तो है कहानी  !!!!!

3 टिप्‍पणियां:

  1. समाधि लगा कर डूब जाते हैं विचारों के अथाह सागर में और भूल जाते हैं सब कुछ ...
    एक बेहतरीन कविता ...

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं
  2. समाधि लगा कर डूब जाते हैं विचारों के अथाह सागर में और भूल जाते हैं सब कुछ ...
    एक बेहतरीन कविता ...

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html

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  3. मन की गहरे में बसे अंतर्द्वंद के साथ समाधी की दशा में सब यूँ ही आभास सा देता है ,सुन्दर बधाई स्वीकारें ,,,,,

    जवाब देंहटाएं

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