ना कोई आरजूके हुजूम थे ,
न कोई ख्वाहिशोके बवंडर ....
बस तकती दो आँखोंमें तैरते थे ....
तेरे और मेरे अक्स ........
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कुछ कहने की बात तो थी ,
पर वो कहनेका वक्त का इंतज़ार था ...
आज कल कहते गुजर गए कितने साल ,
वो अनकही बात बस तुम्हे संजो कर रख गयी दिलमे .....
न कोई ख्वाहिशोके बवंडर ....
बस तकती दो आँखोंमें तैरते थे ....
तेरे और मेरे अक्स ........
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कुछ कहने की बात तो थी ,
पर वो कहनेका वक्त का इंतज़ार था ...
आज कल कहते गुजर गए कितने साल ,
वो अनकही बात बस तुम्हे संजो कर रख गयी दिलमे .....
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
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