रात एक रेशमीसा एहसास
हथेलीसे जैसे सरक रहा था ,
अधमुंदी आँखेसे एक कतरा कह रहा था ,
ये रेतसी मखमली ,रेशमसी मलमली .......
क्या है इस का नाम ???
एक आरज़ू .............
सुबह उठकर देखा तो सिरहाने पर ,
एक ढेर लगा हुआ पाया ,
सपनोका ...
जैसे मौसमकी ऑस
अभी गुलाबकी पंखुड़ीसे सरकी हुई ....,
ज़िलमिल सितारोंकी एक पोटली खुली .....
कुछ अधखिली कलियाँ ,
भीतर भौंरे की गूंज को छुपाये !!!!!!
चुंटी काटकर देखी खुदको ....
नहीं ये सपना नहीं था ....
रात एक रेशमी एहसास सिरहाने बैठ ,
गुदगुदा रहा था ...चांदनीमें चमकती बालूसा .....
हथेलीसे जैसे सरक रहा था ,
अधमुंदी आँखेसे एक कतरा कह रहा था ,
ये रेतसी मखमली ,रेशमसी मलमली .......
क्या है इस का नाम ???
एक आरज़ू .............
सुबह उठकर देखा तो सिरहाने पर ,
एक ढेर लगा हुआ पाया ,
सपनोका ...
जैसे मौसमकी ऑस
अभी गुलाबकी पंखुड़ीसे सरकी हुई ....,
ज़िलमिल सितारोंकी एक पोटली खुली .....
कुछ अधखिली कलियाँ ,
भीतर भौंरे की गूंज को छुपाये !!!!!!
चुंटी काटकर देखी खुदको ....
नहीं ये सपना नहीं था ....
रात एक रेशमी एहसास सिरहाने बैठ ,
गुदगुदा रहा था ...चांदनीमें चमकती बालूसा .....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें