हमने कई सपने सजाये होते है ,कुछ तो हमें पता होता है की पुरे नहीं होने है ,और कई सपनो के बारेमें पूरा होना आसान होता है ...फिर भी हम सपने देखना नहीं छोड़ते ...ये हमारी कल्पना है जो पूरा करने का सामर्थ्य हमें ही जुटाना है ....कुछ भी नामुमकिन नहीं होता पर परिस्थितिकी डोरमें हम कठपुतली बनकर रह जाते है ...और कभी आधे अधूरे से सपने पुरे हो पाते है .......
वास्तविक जीवन और सपनोकी दुनियामें फर्क होता है ...एक हकीकतके साथ साथ चलती है ..और एक हकीकत होती है हमारे अंदरकी जिसकी दुनियाको खबर नहीं होती ...
आप क्या सपने देखते हो ?? एक बड़ी गाडी ,सुन्दरसी लाडी, बहुत बड़ी हो बाड़ी , और दो बच्चे नटखट थोड़े अनाड़ी...बस मिल गया तो जिंदगी सफल ...न मिले तो जितना मिला है उससे मन मना लो....सुबह उठो ,खाओ पीओ सो जाओ ....काम करते हो पेट भरने जिसमे दिनका लगभग सारा हिस्सा निकल जाता है ...
कंप्यूटर पर लेखा जोखा तो रोज करना पड़ता है हिसाब टेली रखना पड़ता है ...
पर एक बार रुको ...एक जगह बैठो ..जिस राह पर गुजरकर आये हो उसे थोडा देखो ....कुछ खोया या पाया .....हाँ जो पीछे छुट गया है वो कुछ बेहद खुबसूरत रिश्ते ...कुछ जनमके साथ मिले और कुछ खुदके बनाये ...कितने का हाल का पता आपको मालूम है ,कितनो के नाम याद है ?? कितनोसे आप आज भी मिल पाते हो ?? अगर मिलते हो तो ये सवालका जवाब खुदको पूछना बेहद जरुरी है की आज उस रिश्ते की व्यवसायिक जरुरत है या फिर आप अपने बचपनके वही निस्वार्थ भावसे मिलते हो ???
वो नुक्कड़ पर खिड़कीके पास नजर टिक जाती है वो सोणी सी कुड़ी का क्या ठिकाना है ??कुछ भी ??? नहीं ये सब जगह पर जाने की जरुरत नहीं ...बस यादोंके सहारे थोड़े उस गलीसे गुजरकर देखो ...एक हलकी सी मुस्कान और एक निर्मल आनंद तुम्हारे चेहरेसे छलक जाएगा ....जिसके लिए आपके मौज शौक के कोई साधन जुटा नहीं पाते ...बहुत धनी और अमीर है वो लोग जिसके पास ऐसे खुबसूरत रिश्ते आज भी कायम है जिन्हें ये संभालना जानते है ...क्योंकि जब आप अकेले हो जाते है तो ये ही रिश्ते आपके साथ याद बनकर चल सकते है ...अगर आपकी जिंदगीमें ऐसे नायाब रिश्ते मिले है तो उन लोगोका हाथ हमेशा थामकर रखना ...आज के ज़माने में ये वाकई निहायत जरुरी है ......क्योंकि इनके पास वो सारी तस्वीरों का आल्बम है जो हमने सपने सजाये थे और इनके साथ स्कुलसे सायकल पर आते आते बांटे थे .....हमारे सपने के असली हक़दार ये लोग ही है ...
वास्तविक जीवन और सपनोकी दुनियामें फर्क होता है ...एक हकीकतके साथ साथ चलती है ..और एक हकीकत होती है हमारे अंदरकी जिसकी दुनियाको खबर नहीं होती ...
आप क्या सपने देखते हो ?? एक बड़ी गाडी ,सुन्दरसी लाडी, बहुत बड़ी हो बाड़ी , और दो बच्चे नटखट थोड़े अनाड़ी...बस मिल गया तो जिंदगी सफल ...न मिले तो जितना मिला है उससे मन मना लो....सुबह उठो ,खाओ पीओ सो जाओ ....काम करते हो पेट भरने जिसमे दिनका लगभग सारा हिस्सा निकल जाता है ...
कंप्यूटर पर लेखा जोखा तो रोज करना पड़ता है हिसाब टेली रखना पड़ता है ...
पर एक बार रुको ...एक जगह बैठो ..जिस राह पर गुजरकर आये हो उसे थोडा देखो ....कुछ खोया या पाया .....हाँ जो पीछे छुट गया है वो कुछ बेहद खुबसूरत रिश्ते ...कुछ जनमके साथ मिले और कुछ खुदके बनाये ...कितने का हाल का पता आपको मालूम है ,कितनो के नाम याद है ?? कितनोसे आप आज भी मिल पाते हो ?? अगर मिलते हो तो ये सवालका जवाब खुदको पूछना बेहद जरुरी है की आज उस रिश्ते की व्यवसायिक जरुरत है या फिर आप अपने बचपनके वही निस्वार्थ भावसे मिलते हो ???
वो नुक्कड़ पर खिड़कीके पास नजर टिक जाती है वो सोणी सी कुड़ी का क्या ठिकाना है ??कुछ भी ??? नहीं ये सब जगह पर जाने की जरुरत नहीं ...बस यादोंके सहारे थोड़े उस गलीसे गुजरकर देखो ...एक हलकी सी मुस्कान और एक निर्मल आनंद तुम्हारे चेहरेसे छलक जाएगा ....जिसके लिए आपके मौज शौक के कोई साधन जुटा नहीं पाते ...बहुत धनी और अमीर है वो लोग जिसके पास ऐसे खुबसूरत रिश्ते आज भी कायम है जिन्हें ये संभालना जानते है ...क्योंकि जब आप अकेले हो जाते है तो ये ही रिश्ते आपके साथ याद बनकर चल सकते है ...अगर आपकी जिंदगीमें ऐसे नायाब रिश्ते मिले है तो उन लोगोका हाथ हमेशा थामकर रखना ...आज के ज़माने में ये वाकई निहायत जरुरी है ......क्योंकि इनके पास वो सारी तस्वीरों का आल्बम है जो हमने सपने सजाये थे और इनके साथ स्कुलसे सायकल पर आते आते बांटे थे .....हमारे सपने के असली हक़दार ये लोग ही है ...
बहुत बढिया प्रस्तुति।
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