खाली खाली लेकर पयमाना लेकर बैठे है
बालकनीमें बैठकर जिन्दगीकी !!
सोचा तू क्या है जिंदगी ????
जिंदगी तू एक कविता है ,
तेरे हर पल एक पत्तेकी तरह कभी सूखे कभी हरे ,
हर दिन बनता रहा हर शाख ,
ये शाख पर बैठते उड़ते परिंदे अनेक ...
फिर भी तू खामोश ,
हवाएं तेरे कानमे सरसराहट भरकर चली जाती है ,
और तने में जिन्दगीका हर साल एक वलय छोड़ जाता है ....
तू चलती मेरे साथ बचपनकी सखा बन ,
जवानीकी संगिनी बनकर ..
पर मुझे वक्त नहीं तेरे सामने देखने भरका ,
ये किश्तें चुकानी घर मकान और गाड़ीकी ,
ये फीस बच्चेकी ट्यूशन और पब्लिक स्कुलकी ,
बहुत बड़ा आदमी बननेकी चाहत हो जिसमे
वो हर चीज़ ऊँचे मोल पर ख़रीदा करते है ,
और तू तो दिलमे बस यूँही मुफ्त मिल जाया करती है !!!
लेकिन ....
एक दिन जब इन सबका अंत आता है
तब हर तरफ तन्हाई हो जाती है ,
बालकनीमें नींदके इंतज़ारमें तारे गिनते है
तब ...तब
तू आकर मेरे कंधो पर हाथ रखकर कहेती है
मैं अभी भी यहीं पर हूँ ..तुम्हारे साथ ..तुम्हारे पास ...
बालकनीमें बैठकर जिन्दगीकी !!
सोचा तू क्या है जिंदगी ????
जिंदगी तू एक कविता है ,
तेरे हर पल एक पत्तेकी तरह कभी सूखे कभी हरे ,
हर दिन बनता रहा हर शाख ,
ये शाख पर बैठते उड़ते परिंदे अनेक ...
फिर भी तू खामोश ,
हवाएं तेरे कानमे सरसराहट भरकर चली जाती है ,
और तने में जिन्दगीका हर साल एक वलय छोड़ जाता है ....
तू चलती मेरे साथ बचपनकी सखा बन ,
जवानीकी संगिनी बनकर ..
पर मुझे वक्त नहीं तेरे सामने देखने भरका ,
ये किश्तें चुकानी घर मकान और गाड़ीकी ,
ये फीस बच्चेकी ट्यूशन और पब्लिक स्कुलकी ,
बहुत बड़ा आदमी बननेकी चाहत हो जिसमे
वो हर चीज़ ऊँचे मोल पर ख़रीदा करते है ,
और तू तो दिलमे बस यूँही मुफ्त मिल जाया करती है !!!
लेकिन ....
एक दिन जब इन सबका अंत आता है
तब हर तरफ तन्हाई हो जाती है ,
बालकनीमें नींदके इंतज़ारमें तारे गिनते है
तब ...तब
तू आकर मेरे कंधो पर हाथ रखकर कहेती है
मैं अभी भी यहीं पर हूँ ..तुम्हारे साथ ..तुम्हारे पास ...
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