27 फ़रवरी 2012

महेफिल ए हाइकु ....

चाँदका मोम
पिघलता रहेगा
आज रातमें ....
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कोई निशानी
नज़र नहीं आती
फिर भी तू है .....
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न ही ज़ख्मको
कुरेदा कीजिये यूँ
लहू रिसेगा ....
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इंतज़ारकी
घड़ियोंसे गुजारा
वक्त शबका.......
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विरासत है
या है ये रिवायत ?
अदा ए हुस्न !!!!!!!
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खयालोंमें ये
चलते है  गुब्बार
तस्वीर बन ....
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तेरे दरकी
राहोंमें न थकन
ए मेरे यार .......


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