16 नवंबर 2011

चाँद कल करवट लेकर....

चाँद कल करवट लेकर इंतज़ार कर रहा था ,
उसे भी कल मौसमका इंतज़ार था ...
गर्मीसे जुलसकर उसके पसीनेकी बुँदे
आसमानमें तारे बनकर लहरा रही थी ....
उसे उस कपकपाहटका था इंतज़ार था
जो जाड़ेका जोड़ा पहनकर दुल्हनसी सजी आ रही थी ......
चाँदको अपनी हथेलीमें तराशकर बंद कर दिया ....
सिमट गया वो बर्फ सा जम गया ....
उस चाँदके टुकडे पर मेरा नाम लिख गया .....
हँसते हुए चाँद को जब अलविदा किया सुबहमें
उसने भी एक नगमा गुनगुनाया शायद ....
वादा देकर चला गया की फिर मिलने आऊंगा जल्द .......

1 टिप्पणी:

  1. पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ प्रीति जी.
    आपकी सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति पढकर मन प्रसन्न
    हो गया है.आपके ब्लॉग का अनुसरण कर लिया है जी.

    समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
    हार्दिक स्वागत है आपका.

    जवाब देंहटाएं

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