14 नवंबर 2011

बालदिवस मुबारक हो ....!!!!!

आज सुबह सुबह में मोर्निंग वोकसे घर वापस आ रही थी ....मेरे घर के ठीक बाजुमें एक स्कुल है ...रिक्शासे उतरकर एक छोटी सी बच्ची रो रही थी ...उसकी दो दोस्त उसे समजा रही थी ...रिक्शावाले भैया भी कह रहे थे की तुम्हे आज पता नहीं था इस लिए तुमने नए कपडे नहीं पहने .....कोई बात नहीं ...
एक बात देखी...बच्चेका रोना सिर्फ उसकी माँ या उसके पिता नहीं पर उसकी उम्र के दोस्त और वह हर व्यक्ति जो उसकी जिंदगीके रोजमर्रा के हिस्से है उन सब को असर करता है ...हर कोई अपनी बातसे उसको शांत करने के प्रयासमें जुट जाता है .....एक मासूमसी बात देखी आज सुबह बाल दिवस के दिन ..........
आज हर बच्चे को अहमियत दी जायेगी ...उसे लाड दिए जायेंगे ....सब पत्र पत्रिकामें कल मजदूरी करते बच्चोकी तस्वीर छापी जायेगी ...समाजको सन्देश दिए जायेंगे ...फिर कल से वही ढांचेकी जिंदगी फिर शुरू .....
वो झोंपडपट्टीके बच्चोकी जिंदगीकी दुर्दशा भी दिखाई जायेगी .....
पर एक बात जो कहना चाहूंगी की आपके घरमें भी एक बच्चा है .....जिसकी मुश्किल रोटी कपडा मकान या शिक्षा नहीं ...पर कुछ ऐसी चीजें जो इधर बता रही हूँ वो जरुर हो रही है ......ये बात गरीब या अनाथ बच्चे की नहीं ये एक समजदार और उच्च वर्गके कहलाते बच्चे की ही है ....
१. मोडेलिंग करते बच्चोको पैसे क्या होते समज नहीं होती पर उनका बचपन कहाँ घूंट जाता है ...पैसा और प्रसिध्धि के चक्कर में ...!!!!वो प्यारेसे बच्चे की जिंदगीके बारेमे हम जानते है पर उसके अभिभावक उसकी और ध्यान नहीं देते की उसका बचपन कहाँ ????
२.रियालिटी शो में आते बच्चे .....बहुत कुछ छप चूका है इस के बारे में ...पर प्रसिध्धि और पैसेके मोह में माँ बाप द्वारा उस मासूमकी जिंदगी को बलि चढ़ाया जाता है ....हार जीत के मायने जिसे समज न आये हो उसके लिए अभिभावक द्वारा उसे वक्त के पहले बड़ा कर दिया जाता है .......
३. महंगाई बहुत है ...पति पत्नी कमाने जाते है ....क्रेशमें , या विडिओगेमके हवाले , नुडल्स और पिज़ा के हवाले होता बचपन ..मोटापे और उससे जुडी बिमारियोंका वरदान बचपनमें ही देने लगा है .......बड़ी उम्रके बुजुर्गके लिए ये बच्चे एक जिम्मेदारी होते है ...और उसके बचपन को वो एन्जॉय नहीं कर पाते ....
ऐसे माँ बाप अकेलेपनका तोहफा बच्चो के देते है जिसका हर्जाना शायद बुढ़ापेमें वृध्धाश्रम  में जाकर उन्हें चुकाना पड़ता है ...ड्रग एडिक्शन के केस में शुरुआत ये एकेलेपनसे ही होती है ......
४. बच्चोके कंधे पर पुस्तकोंका ढेरका बोझ  लादकर सुबह स्कुलमें जाते है ...लौटते है होमवर्क का बोज लेकर ....मम्मी पापा का इंस्ट्रक्शन का बोज ....होबी क्लास के बोज में ....
वो मस्ती वो तूफान जो हमने किये थे अपने बचपनमें वो सब गुम हो गए है ......
इस बाल दिवस पर हम अपनी अपेक्षा का बोज उनके नाजुक कंधेसे हटाने का गिफ्ट देकर उन्हें कह पाएंगे ????
बालदिवस मुबारक हो ....!!!!!

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