मेरी मुस्काने अब आयनेके अक्सकी तरह है ,
एक आभास होता है हंसी का
पर छूकर देखो तो बेरूख होकर होती गायब है
जैसे उसकी हस्ती हो ही नहीं ......
मुझे पूछते है लोग कहाँ गयी वो मुस्कुराहटें ???
कह देती हूँ वो भी थक गयी थी ...
गयी है कहीं दूर वेकेशन मनाने के लिए ....
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