एक रास्ता है ,
दोनों तरफ पेड़ गुलमहोरकी कतारें .....
थोड़ीसी धुप छन करके आती है ,
थोड़ीसी छाँव है ...
वो धुपकी किरन खड़ी है छाँवकी बाहोंमें ......
नीचे मैं ....
अनायास ही खड़ा ये खेल देखता हुआ ...
हाथमें एक टूटी हुई गुलमहोरकी डाली सहलाते हुए .......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
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