हम खामोश है और रहेंगे
क्योंकि हम रुसवा नहीं कर सकते
अपनी जुबाँसे आपको ,
गिले शिकवे तो हर दोस्तीका उसूल है ,
पर आपकी अच्छाईसे दोस्ती हमारी रोशन थी ,
आज भी आपकी यादें साथ है हमारे ,
हम खुदकी नज़रमें गिरे कैसे ?
गर तुम्हारे खिलाफ लब्ज़ निकाला
तो वो रुसवाई हमारे विश्वास की है ......
तुम खफा सही मुझसे नजदीक नहीं ,
गर तुम्हारी नफ़रतमें है वो दम
ले जाओ तुम्हारी यादोंको मेरे दिलसे निकालकर ,
वो भी तुम्हारे साथ आनेसे इनकार कर देगी ....
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