ये बरसातमें शबनममें छुपकर बरसती है शमा ,
शमा की न जलन होती है कम ,
ये सावन ही कहलाता है इश्क का साथी
जो पानीमें आग बरसाता है ...............
बुँदे ठहर जाती है चेहरे पर ,
जैसे जलती शमा पर मोम अटक जाती है ,
ठन्डे पानीमें जलकर वो
याद पियु की दिलाती है .....
अबके सावन यूँ बरस जा कुछ ,
तेरी बूंदोंसे एक पाति लिखूं पियासे ,
गौना करा कर ले जाओ अपने संग ,
बाबुल का अंगना अब रास न आवे .......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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